भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत
मेरे हिस्से वो किस्से कब आएंगे
रात छटी न कभी; कभी सुबह न हुई
उस सुबह को ये रस्ते कब जाएंगे
भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत...
एक अर्सा हुआ नाव पे बैठे हुए
किनारे न कभी नजर आए हैं
मन संभाले हुए, जीवन ढोते रहे
ये जीवन न जाने कब जी पाएंगे
भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत...
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