Wednesday 25 November 2020

भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत

 


भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत

मेरे हिस्से वो किस्से कब आएंगे 

रात छटी न कभी; कभी सुबह न हुई 

उस सुबह को ये रस्ते कब जाएंगे 

भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत...

 

एक अर्सा हुआ नाव पे बैठे हुए 

किनारे न कभी नजर आए हैं 

मन संभाले हुए, जीवन ढोते रहे 

ये जीवन न जाने कब जी पाएंगे 

भाग्य रेखाओं से मैंने पूछा बहुत...

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