मन चीखा, चीख के रह गया सन्नाटा था पसरा, पसरा रह गया गूंजता रहा रात भर टिक-टिक टिक-टिक का शोर वैभव इस मृतलोक का मृत सा रह गया मन चीखा, चीख के रह गया सन्नाटा था पसरा, पसरा रह गया
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