Friday 27 August 2021

मन चीखा, चीख के रह गया

 मन चीखा, चीख के रह गया
सन्नाटा था पसरा, पसरा रह गया
गूंजता रहा रात भर टिक-टिक टिक-टिक का शोर
वैभव इस मृतलोक का मृत सा रह गया
मन चीखा, चीख के रह गया
सन्नाटा था पसरा, पसरा रह गया

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