चाँद आज अकेला अकेला सा क्यों है
हवाओं का रंग बदला बदला सा क्यों है
जब उसके दिल में कुछ था ही नही मेरी खातिर……
तो मुझमे जिन्दा ये प्यार आज तक क्यों है।
वैसे तो मेरी आँखों ने कई बार छुआ है तुझको
मेरे ख्वाबों ने हमेशा सोचा भी है तुझको
जो छुआ था एक रात तूने सपने में…
छुअन का एहसास आजतक क्यों है।
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