बादलों के दरमियान..., शायद हो रही है कोशिश कोई
मध्य रात्रि मे प्रकृति भी..... कर रही है कोशिश कोई
इस रात मधुर मधुर हवाएँ;
तेरे नाम की खुशबू का एहसास कराती हैं
इन तारों का टिमटिमाना..;
तेरा मुझको....;
नजरें चुरा चुरा कर देखने की याद दिलाता है
फूल; पत्तियों के हिलने की आवाज;
तेरे कदमों की आहट की याद दिलाती है
हवाओं की ये शीतलता......; इस अगन को और बढ़ाती है
अब तो नक़छत्रों की स्थितियाँ भी तेरी ही सूरत को बनाती है
क्या करूँ आज....... प्रकृति भी तेरी याद दिलाती है।
क्या करूँ आज....... प्रकृति भी तेरी याद दिलाती है।
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